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tamatar ki kheti, कैसे करें टमाटर की खेती




दोस्तों आज हम बात करेंगे एक नई फसल के बारे में जिस की खेती से हम लाखों रुपए कमा सकते हैं वह भी कुछ ही महीनों में भारत एक कृषि प्रधान देश है यह यह हम सभी जानते हैं भारत में गेहूं चना मटर आदि की खेती तो की ही जाती है साथ-साथ भारत फलों और सब्जियों के उत्पादन में भी प्रथम स्थान रखता है भारत सब्जियों के उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान रखता है भारत में विभिन्न तरह की सब्जियों उत्पादित की जाती है जैसे लौकी तोरई कद्दू मिर्च टमाटर और बैंगन तो आज हम बात करेंगे टमाटर की खेती कैसे की जाती है वैसे भारत में पूरे देश में टमाटर की खेती की जाती है टमाटर एक ऐसी फसल है जो अधिक उत्पादन देती है और अच्छा खासा मुनाफा भी दर्शकों को प्रदान करती है इस लेख में हम टमाटर की विभिन्न किस्में और उनको बोने का तरीका इसके साथ-साथ उनके रखरखाव और विक्रय तक की जानकारी हम इस लेख में पड़ेंगे।

भारत में टमाटर की खेती कर्नाटक बिहार उड़ीसा राजस्थान मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश के अलावा लगभग सभी जगह की जाती है आजकल टमाटर बाजार में 12 महीने उपलब्ध होता है इस लिहाज से हम देखें तो टमाटर की खेती करना एक फायदेमंद सौदा हो सकता है। टमाटर की खेती के लिए आदर्श तापमान 18 से 27 डिग्री सेंटीग्रेड है यह अधिक गर्मियों में फूल और फल गिरने की समस्या इसमें देखी जाती है इसलिए आप अपने क्षेत्र के मौसम अनुसार ही टमाटर की खेती करें और हम भारत में सबसे अधिक उत्पादन देने वाली अर्का रक्षक किस्म के बारे में भी इस लेख में आपको जानकारी प्रदान करें तो दोस्तों चलिए देखते हैं कि टमाटर की खेती किस तरह करती हैं और उसकी जानकारी स्टेप बाय स्टेप देखें

जलवायु कैसी हो

टमाटर की खेती करने के लिए हमें अपने क्षेत्र की जलवायु को हमेशा देखना चाहिए क्योंकि यदि हमारे क्षेत्र की जलवायु अधिक गर्म है तो इस ऐसी स्थिति में हम टमाटर की खेती नहीं कर सकते टमाटर की खेती के लिए जलवायु 20 से 25 सेंटीग्रेड का तापमान हमारे वातावरण का होना चाहिए अधिक ठंडा भी ना हो और अधिक गर्म भी ना हो ऐसी जलवायु में टमाटर की खेती का आसानी से की जा सकती है और साथ ही साथ आप अपनी कृषि विद्यालय से भी इस संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि हमारे क्षेत्र में टमाटर की खेती की जा सकती है या नहीं उसके बाद ही आप निर्णय लें।


टमाटर की खेती के लिए मिट्टी कैसी हो-

टमाटर की खेती करने के लिए काली मिट्टी रेतीली मिट्टी दोमट मिट्टी लाल मिट्टी आदि में इसे आसानी से उगाया जा सकता है तथा साथ ही साथ इसकी अच्छी से अच्छी पैदावार भी ली जा सकती है इसलिए टमाटर की खेती के लिए हमें मिट्टी की जांच कर लेना अवश्य होता है और मिट्टी की जांच करते समय हमें मिट्टी का पीएच मान 7 से 8.5 के बीच होना चाहिए


टमाटर की उन्नत किस्में कौन-कौन सी हैं

भारत में टमाटर की विभिन्न किस्में उपलब्ध है जैसे आर्का सौरभ आर का विकास आर्का रक्षक आर्का सम्राट पूसा शीतल पूसा 120 हिसार लालिमा पूसा हाइब्रिड 1 रश्मि अविनाश 2 red gold 501 us 440 ।


आर्का रक्षक और आर्का सम्राट

हम अन्य किस्मों की तरह ही आपको एक भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बेंगलुरु की तरफ से तैयार की गई अर्का रक्षक और अर्का सम्राट यह दोनों ही किस में बहुत ही अच्छी हैं इन किस्मों की एक यह विशेषता है कि इसमें फलों की पैदावार अन्य किस्मों की तुलना में बहुत अधिक है और का रक्षक मैं एक पौधे में 19 किलो के लगभग टमाटर की फसल पैदा होती है तथा इसका फल भी बहुत ही सुंदर और आकर्षक होता है यह भारतीय बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है यह at sadashiva द्वारा तैयार की गई है यह तीन प्रकार के जीवाणु से हमारी फसल की सुरक्षा के लिए प्रतिरोधक फसल है इसमें झुलसा अगेती अंग मारी पति मोडक विषाणु आदि से लड़ने की क्षमता होती है इसका फल भी 90 से 100 ग्राम के आस पास होता है यह हमें आसानी से उपलब्ध हो जाती है क्योंकि इस विश्वविद्यालय में ऑनलाइन डिलीवरी की सुविधा भी उपलब्ध है आप घर बैठे ही आपने मनपसंद टमाटर के बीजों को बुलवा सकते हैं इसके लिए आपको उनकी वेबसाइट पर जाकर रजिस्टर्ड करना होता है और जो भी टमाटर की किस्म आप लेना चाहती हैं वहां से ले सकती हैं और यह 400 क्विंटल की पैदावार देता है 1 एकड़ में। यह 10 ग्राम के पैकेट में आता है इसका मूल्य ₹350 रुपए के आस पास होता है यह बहुत ही अच्छी पैकिंग में आता है जिससे हमारा बीज खराब नहीं होता।


बीज की मात्रा और बुवाई का समय

एक हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर की खेती करने के लिए हमें नर्सरी तैयार करना होती है क्योंकि हम जानते हैं कि टमाटर की खेती करने के लिए नर्सरी तैयार करनी पड़ती है जैसे कि हम मैच और भाटी आदि की खेती करते समय करते हैं इसी तरह टमाटर की खेती के लिए हमें एक हेक्टेयर में 350 से 400 ग्राम बीच पर्याप्त मात्रा में हो जाता है और हाइब्रिड किस्मों के लिए हमें 150 से 200 ग्राम बीच की प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है भारत में वर्षा ऋतु की फसल के लिए जून-जुलाई में नर्सरी तैयार कर लेना चाहिए तथा शीत ऋतु के लिए जनवरी-फरवरी के आसपास में नर्सरी तैयार कर लेना नर्सरी तैयार करते समय की आवश्यकता होती है क्योंकि इसी पौधे को हम बाद में खेत में लगाने वाले हैं इसलिए पौधा बिल्कुल स्वस्थ और निरोगी होना चाहिए।


बीज उपचार कैसे करें और किस दवाई से करें

बीज को होने से पूर्व हमें theorem या मेटालॉक्सिल से बीज उपचार करना चाहिए इससे हम फफूंद का आक्रमण रोक सकते हैं और साथ ही साथ हमारा पौधा भी स्वस्थ पैदा होता है

भारत में शिमला मिर्च की खेती कैसे की जा सकती है पढ़ने के लिए क्लिक करें

नर्सरी तैयार कैसे करे।

बीज उपचार के बाद हमें इसे मिट्टी में हल्की तरीके से छिड़क देना चाहिए जिससे बीच एक दूसरे के बिल्कुल पास भी ना हो और ज्यादा दूर भी ना हो और चाहे तो हम बाजार में मिलने वाली सीडलिंग ट्रे से भी अपनी नर्सरी तैयार कर सकते हैं ट्रे में नर्सरी तैयार करना आसान होता है इसमें एक बॉक्स में एक ही पौधा पैदा होता है और इसे आसानी से हम पलट कर खेत में लगा सकते हैं यदि हम मिट्टी में अपनी पौध तैयार कर रहे हैं तो हमें पौधे से पौधे को थोड़ी दूरी पर लगाना चाहिए जिससे वह उचित मात्रा में दूरी के साथ-साथ उसे अच्छा प्रकाश हवा प्राप्त हो बीज को छिड़कने के बाद हमें भुरभुरी मिट्टी को भी उस पर छिड़क देना चाहिए और स्प्रे की सहायता से या हल्के सीटें मार कर हमें प्रतिदिन सिंचाई करनी चाहिए उसके बाद हम लगातार स्कोर तैयार होते हुए देखेंगे यदि हमें ऐसा लगे कि इसमें कोई बीमारी लग गई है तो तुरंत दवा का छिड़काव कर देना चाहिए पौधा उगने में लगभग 10 से 15 दिन का समय लग जाता है जब पौधे बड़े हो जाएं या 1 माह की हो जाए और जब पौध तैयार हो जाए उसके बाद हम इसे खेत में निकाल कर लगा सकते हैं।


खेत की तैयारी कैसे करें टमाटर की फसल के लिए

भूमि की तैयारी- टमाटर की खेती के लिए खेत की तैयारी करना बहुत ही आवश्यक है खेत की तैयारी करते समय हमें सबसे पहले खेत में जो भी कचरा आदि है उसे नष्ट कर देना चाहिए तथा 2 से 3 बार गहरी जुताई करना चाहिए तथा उसके बाद पाटा चलाना चाहिए जिससे खेत समतल हो जाए तथा हमें इसके साथ-साथ यह भी देखना चाहिए कि खेत में उत्तम जल निकासी की व्यवस्था सही है कि नहीं यदि खेत में पानी भरेगा तो इससे फसल को नुकसान होगा इसलिए हमें समुचित व्यवस्था कर लेनी चाहिए


खाद एवं उर्वरक

टमाटर की खेती करने के लिए खाद एवं उर्वरक की मात्रा विशेष आवश्यक है क्योंकि बिना खाद एवं उर्वरक के टमाटर की फसल अच्छा पैदावार नहीं देती है और इससे उसकी उपज भी कम होती है और फल दिखने में आकर्षक और तुम सुंदर दिखता है जिससे बाजार में उसका मूल्य भी कम मिलता है इसलिए हमें हमें गोबर की खाद 20 से 25 टन  एवम 200 किलो नाइट्रोजन 100 किलो फास्फोरस 100 किलो पोटाश यदि बोरेक्स की कमी हो तो 0.3% का छिड़काव करने से अच्छा फल देखने को मिलता है गोबर की खाद हम खेत की तैयारी करते समय जुताई के समय भी मिला सकते हैं पौधे को लगाते समय भी हम जड़ों के आसपास गोबर की खाद एवं npk आदि दे सकते हैं


नर्सरी का रोपण कैसे करें?

जब हम टमाटर के छोटे-छोटे पौधों को रोपण करने के लिए तैयारी कर रहे हैं उसके लिए हम थोड़ा-थोड़ा क्यारियों में पानी डाल लेंगे जिससे पौधे आसानी से निकल जाए उसके बाद हम पौधों को क्यारियों में लगा देंगे जो हमने खेत तैयार करते समय बनाई है या फिर समतल खेत में भी लगा सकते हैं परंतु हमें एक लाइन से ही लगाना चाहिए इनको लगाने के बाद हम पानी देंगे क्योंकि खेत सुखा हो सकता है ध्यान रखने योग्य बात यह है कि हमें पौधे का रोपण करने के तुरंत बाद ही पानी देना चाहिए जिससे जड़े अच्छी तरह से पानी सोख ले और पौधा मुरझाए नहीं अधिक धूप में भी हमें नर्सरी का रूपाई नहीं करना चाहिए वरना पौधा मर भी सकता है रोपाई के तुरंत बाद हमें सिंचाई अवश्य करना चाहिए


सिंचाई कैसे करें?

टमाटर की खेती करने के लिए हमें पानी की विशेष व्यवस्था कर लेना चाहिए इसमें अधिक पानी और ना कम पानी देने से हमें नुकसान उठाना पड़ सकता है इसीलिए हमें ऐसी व्यवस्था करना चाहिए कि हम टमाटर की खेती में पर्याप्त मात्रा में सिंचाई कर सकें इसके लिए हम चाहें तो ड्रिप सिंचाई का प्रयोग कर सकते हैं या फिर हम स्प्रिंकलर से भी सिंचाई कर सकते हैं टमाटर की खेती के लिए हमें 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी ही पड़ती है नहीं तो फसल सूखने लगती है और फिर रोग भी हो सकते हैं और गर्मियों के दिन में तो हमें 2 से 3 दिन के अंतराल पर ही सच्चाई करनी पड़ती है जब सच्चाई में हम जब चाहे तब सिंचाई कर सकते हैं यह ड्रिप सिंचाई का एक बहुत अच्छा फायदा है ।


निराई एवं गुड़ाई कैसे करें?

टमाटर की खेती में निराई गुड़ाई बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण होती नहीं तो फसल में कचरा अधिक होता है पहली निराई गुड़ाई हमें पौधे रोकने के 25 दिन से 30 दिन में कर लेनी चाहिए तथा दूसरी निराई गुड़ाई कम से कम 45 दिन करवा देना चाहिए पौधे को वह पढ़ने के बाद हमें 20 से 25 दिन तक यह ध्यान रखना चाहिए कि उस पर दोबारा मिट्टी चढ़ा दी जाए क्योंकि पौधा मजबूत होता है और अच्छा फल देता है और समय-समय पर खाद आदि भी डालना चाहिए।


पौधों को सहारा देने के लिए स्टैकिंग कैसे करें?

जब टमाटर की फसल में फूल और फल आने लगे तो हमें पौधे की मिट्टी को चढ़ाना चाहिए तथा इसके साथ-साथ हम देखते हैं कि फल आने पर पौधा जब एक तरफ झुकने लगता है इसके लिए हमें स्पीकिंग या लकड़ी का सहारा देना चाहिए इसे लगाने के लिए हम एक बांस की लकड़ी या तार के सहारे पौधे का एक या दो हिस्सा ऊपर की तरफ से बांध लेना चाहिए जिससे पौधा सीधी तरह खड़ा रहे एक तरफ झुके नहीं सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 40 दिन के बाद बांस की लकड़ी के डंडे में तार बांधकर भी हम पौधों को सहारा दे सकते हैं या प्रत्येक पौधे के पास एक लकड़ी लगा कर भी हम सहारा दे सकते हैं जो भी आपको सरल लगे आप कर सकते हैं परंतु यह अत्यंत आवश्यक है इस स्टेप को आप बिल्कुल भी ना छोड़े नहीं तो फल यदि जमीन से टच होगा तो उसका रंग और क्वालिटी खराब हो सकती है।


कीट एवं रोग कौन कौन से हैं?

हरा तेला सफेद मक्खी फल छेदक कीट इल्ली

टमाटर की फसल के लिए कौन सा कीटनाशक का प्रयोग करें?

फ्लूक्लोरेलिन 1 किलो प्रति हेक्टेयर 

मेरिंटजन 0.25-050 किलो प्रति हेक्टेयर

अलेक्लोर 2 किलो प्रति हेक्टेयर

फसल की रक्षा पाला और लू से 

टमाटर की फसल बहुत ही नाजुक होती है यह ठंड में ज्यादा सहनशील नहीं होती इसमें पाला लगने की आशंका अधिक होती जब भी पाल लगने की स्थिति हो तब इसमें पानी की सिंचाई करना अच्छा रहता है तथा गर्मियों में इसे लू से बचाव करना आवश्यक है इसकी निरंतर गर्मियों में सिंचाई करना आवश्यक है नहीं तो इसमें लू लग सकती और पानी की कमी से उसके फल भी झड़ने लगते हैं




टमाटर के फलों की तोड़ाई कैसे करें

टमाटर के फल आसानी से तोड़ जा सकती है इसे हाथ से ही या किसी चाकू या ब्लड की सहायता से भी तोड़ सकते हैं पर ध्यान रखें कि फल तोड़ते समय इसकी शाखा को नुकसान ना पहुंचे और हमें फल दौड़ते समय यह देखना चाहिए कि ज्यादा कच्चा फल हम ना तोड़े और फल अधिक ना पके इसका भी हमें ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यदि अधिक फल पक जाएगा तो वह बेचते समय खराब हो सकता है जिससे हमें भाव भी कम मिलेंगे इसलिए फल को समय रहते ही तोड़ लेना चाहिए ना ही अधिक कच्चा और ना ही ज्यादा पका फल तोड़ना चाहिए टमाटर का फल तोड़ते समय हमें हल्का यह लाल रंग देखने में यदि आता है तो उस फल को तोड़ लेना चाहिए उसके बाद हमें उसे कैरेट में भरकर बाजार ले जाना चाहिए 


तो दोस्तों आज की टॉपिक में बस इतना ही और इसमें कोई और जानकारी यदि आप देना चाहें तो कमेंट बॉक्स में इसकी जानकारी दे सकते हैं और यह भी बता सकते हैं कि यह blog आपको कितना पसंद आया कृपया कमेंट जरुर करें जिससे हमें आप आपकी पसंद या नापसंद के बारे में जानकारी मिल सके। और यदि कोई त्रुटि हो तो बताएं। plese share
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