Facebook SDK

मूंग की खेती कैसे करें



हेलो दोस्तों आप कैसे हैं। आशा करता हूं कि आप स्वस्थ और अच्छे ही होंगे तो दोस्तों अब गर्मियों का सीजन स्टार्ट हो चुका है गेहूं की फसल और चने की फसल पककर और कटकर रखी जाने लगी है और कृषक बंधु हमारे अब आगे कौन सी फसल बोए इसके बारे में चिंतित होने लगे हैं इसी के लिए मैं आज आप सभी को गर्मियों मैं की जाने वाली खेती के बारे में जानकारी लेकर आया हूं आशा करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगेगी।

दोस्तों आज हम मूंग की खेती के बारे में बात करेंगे यह गर्मियों में बोई जाने वाली फसल है। मूंग एक दलहन की फसल है। मूंग का उपयोग पूरे भारतवर्ष में किया जाता है मूंग एक ऐसी दलहन है जो बहुत से विटामिन खनिज आदि से भरपूर है इसमें प्रोटीन में पाया जाता है जो हमें बीमारियों से दूर रखता है मूंग का उपयोग तो घरों में दाल बनाने के लिए खिचड़ी बनाने के लिए और बाजार में तरह-तरह के नमकीन आदि बनाने के लिए किया जाता है। मूंग की खेती मैं एक बात बहुत अच्छी है कि बीज की मात्रा अधिक नहीं लगती 1 एकड़ में 10 से 15 किलो बीज ही लगता है और मूंग की खेती अच्छे से हो जाती है

मूंग की किस्में कौन-कौन सी है।-

Ganga 8- यह देर से वाली किस्म है। यह किस्म खरीफ और जायद के अनुकूल है यह 70 से 80 दिनों में आने वाली फसल है यह रोग प्रतिरोधक भी है इसका उत्पादन भी अच्छा है

के 851- यह फसल की एक अच्छी वैरायटी है यह 70 से 80 दिनों में आने वाली वैरायटी है इसका दाना मोटा और चमकदार है इसका उत्पादन भी बहुत अच्छा है

पूसा विशाल - यह पूसा अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित की गई एक मूंग की उन्नत किस्म है इस किस्म की एक विशेषता यह है कि यह जायद और खरीफ दोनों में  जा सकने वाली फसल है इसका उत्पादन 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है यह 70 से 75 दिनों में आने वाली फसल है 

जवाहर 45- यह जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई मूंग की एक अच्छी किस्म हैI इसे लोग हाइब्रिड 45 के नाम से भी लोग जानते हैं यह 75 से 80 दिनों में पकने वाली फसल है इसका उत्पादन 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है

कृष्णा 11- यह उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त किस्म है इसका उत्पादन बहुत अच्छा है 60 से 70 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है और 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उसका उत्पादन है

Gm4- यह भी मूंग की एक बहुत अच्छी किस्म हैके 60 से 70 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसका उत्पादन होता है इसका दाना चमकदार और बहुत ही सुंदर हारा होता है।

सुनैना - उनकी एक अच्छी कसम है इसका बीज हरे रंग का और चमकदार होता है यह 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है और यह पीला मोजेक से भी प्रतिरोधक क्षमता रखती है

न्यू वेराइटी-वाराणसी के कुदरत संस्थान कृषि शोध संस्थान ने मूंग की एक नई किस्म तैयार की है जो बहुत ही अच्छी है इसकी खास बात यह है कि इसके पौधे पीला मोजेक रोग से प्रतिरोधक क्षमता रखते हैं और साथ ही साथ यह जिस्म बहुत ही जल्दी पक कर तैयार हो जाती है आमतौर पर मूंग की फसल 65 से 70 दिनों में पक कर तैयार होती है लेकिन इस किस्म की खास बात यह है कि यह मात्र 55 दिनों के भीतर ही तैयार हो जाती है इसके फल गहरे हरे रंग के तथा चमकदार होते है यह में वाराणसी के कृषि केंद्र से इसका बीज प्राप्त किया जा सकता है

और भी कई किस्में हैं जो निम्नलिखित हैं-

आईपीएम 2 ,मुस्कान,sml 668, पंत मूंग,tjm,bm 4 etc

मूंग की खेती के लिए जलवायु कैसी हो-

मूंग की जलवायु के लिए हमें और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है मूंग की खेती वर्षा ऋतु में भी की जा सकती है इसकी वृद्धि एवं विकास के लिए सही तापमान 25 से 32 सेंटीग्रेड के अनुकूल माना जाता है और इसके पकने के समय यदि अधिक वर्षा होती है इसके लिए हानिकारक हो सकता है

भूमि कैसी हो-

मूंग की खेती सभी मिट्टी में की जा सकती है बशर्ते वह उपजाऊ भूमि हो

भूमि की तैयारी कैसे करें-

खेत की तैयारी करते समय हमें यह ध्यान देना चाहिए कि खेत में खरपतवार बिल्कुल भी ना हो और खेत बिल्कुल साफ हो खेत में हम दो से तीन बार जुताई करके अच्छे से गोबर की खाद यदि उपलब्ध हो तो मिलाकर उसकी जुताई कर देना चाहिए जिससे खेत में खाद पर्याप्त रूप से फैल जाएं

मूंग की खेती में कितना बीज लगेगा -

खरीफ के मौसम में 12 से 15 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से लगता है तथा गर्मियों के समय 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज लगता है बीज की बुवाई के समय हमें 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी चाहिए इसकी बौनी सीडड्रिल से आसानी से की जा सकती है

खाद और उर्वरक की मात्रा -

मूंग की खेती के लिए हमें नाइट्रोजन की जरूरत नहीं पड़ती फिर भी 20 किलोग्राम नाइट्रोजन 50 किलोग्राम फास्फोरस व 20 किलोग्राम पोटाश की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से हमें बुवाई के समय देना चाहिए और साथ ही साथ यदि गोबर की खाद उपलब्ध हो तो हमें उसका उपयोग करना चाहिए इससे फसल बहुत स्वस्थ और मजबूत होती है और उत्पादन भी अधिक होता है साथ ही साथ में कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेकर और भी कोई दवाई कीटनाशक डालने की सलाह दी जाती है तो हमें डालना चाहिए।

बीज उपचार कैसे करें

हम बाजार में मिलने वाले विभिन्न किस्मों के बीज उपचार का उपयोग कर सकते हैं तथा जवाहर राइजोबियम का उपयोग करके भी हम बीज उपचार कर सकते हैं यह बहुत ही कम कीमत पर हमें उपलब्ध हो जाता है इसे जबलपुर के कृषि विश्वविद्यालय से जाकर खरीद सकते हैं यह लिक्विड और पाउडर दोनों फार्म में उपलब्ध होता है।

मूंग की बुवाई का समय-

मूंग की खेती ग्रीष्म ऋतु मैं और वर्षा ऋतु दोनों समय पर की जा सकती है की स्मृति में मार्च से अप्रैल तक इसकी बुवाई की जाती है और वर्षा ऋतु में मानसून आने के बाद मतलब जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह में इसकी बुवाई कर देनी चाहिए।

मूंग की सिचाई-

किसी भी फसल की खेती के लिए हमें सिंचाई की विशेष आवश्यकता होती है मूंग की फसल गर्मियों की ऋतु में की जाती है इसलिए इसे सिंचाई की विशेष देखने की आवश्यकता होती है क्योंकि यदि सच्चाई नहीं की जाएगी तो फसल गर्मियों उस सहन नहीं कर पाई और जल्दी से नष्ट हो जाएगी इसलिए मूंग की खेती में हमें सिंचाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए दो से तीन सिंचाई उनकी खेती में की जाती है गर्मी तथा वर्षा ऋतु में यदि पानी नहीं गिर रहा है तभी सिंचाई करनी चाहिए अन्यथा फसल बर्बाद हो जाएगी मूंग की खेती में हमें अधिक सिंचाई नहीं करनी चाहिए नहीं तो फसल सकती है और यदि हम कम से चाय करेंगे तो फसल सही तैयार नहीं हो पाए इसलिए जब हमें महसूस हो तभी सिंचाई करनी चाहिए।

मूंग में लगने वाले रोग और उनका उपचार कैसे करें-

  • पीला मोजेक -पीला मोजेक रोग से पत्तियां पीली पड़ जाती है और बाद में पूरी तरह पड़ती है सूखकर झड़ जाती है
  • वर्णचित्ती-इससे फसल में पत्तियों के बीच गोलाकार धब्बे पड़ जाते हैं तथा धब्बों का रंग बैंगनी लाल और बुरा होता है फलियों पर भी इसका असर पड़ता है और हमारी फसल को नुकसान होता है क्योंकि उत्पादन कम होता है
  • काला मांहूं-यह कीड़ा फलों के निकलने के समय पौधे को नुकसान पहुंचाता है तथा इससे उत्पादन कम होता है इसके लिए हमें माहू ट्रैप या फिर या फिर मैटासिस्टार्क्स 25ec या dimethoate 30 EC का छिड़काव करें।

और यदि समस्या है आपको तो आप अपनी नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं या फिर खाद विक्रेता के पास कीटनाशक की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं बाजार में बहुत से कीटनाशक और दवाइयां उपलब्ध है जो मूंग के लिए उपयोगी है उनम से किन्ही एक का चुनाव करके आप अपनी फसल को बचा सकते हैं।

मूंग की कटाई कैसे करें-

मूंग की कटाई आप हार्वेस्टर से करवा सकते हैं तथा यदि आपके क्षेत्र में हार्वेस्टर नहीं है तो आप मूंग की हाथों से कटाई करवा कर उसे थ्रेसर आदि से proceed कर सकते हैं

मूंग का भंडारण कैसे करें-

मूंग को हमें अच्छे से सुखाने के बाद ही इसका भंडारण करना चाहिए नहीं तो यह अपना रंग थोड़ा सा बदल सकती है इससे हमें आर्थिक नुकसान हो सकता है इसलिए जब मूंग पूरी तरह से सूख जाए तभी हमें इसे अच्छी तरह से पूर्व में बंद करके रखना चाहिए और यदि हम इसे लंबे समय तक रखना चाहते हैं तुम हम इसमें कुछ दवाइयां मिलाकर इसे रख देना चाहिए इससे फसल में कीड़े और घुन नहीं लगेगी।


तो दोस्तों आपको आज की जानकारी कैसी लगी आज हमने मूंग की खेती के बारे में आपको जानकारी दी है यदि इसमें कुछ आप बदलाव करना चाहते हैं या कोई जानकारी त्रुटिपूर्ण है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से जानकारी दे सकते हैं और यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो आप हमें जरूर लिखें और आप यदि किसी नई चीज के बारे में किसी नई फसल के बारे में जानना चाहता है तो हमें कमेंट करके बताएं 
धन्यवाद।



Post a Comment

और नया पुराने