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bhindi ki kheti,भिंडी की खेती,okra farming


 आजकल भिंडी की खेती का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है भिंडी की खेती आजकल जगह-जगह की जाने लगी है और इसे बेचना भी बहुत सरल है क्योंकि भिंडी की सब्जी हर कोई खाता है इसका उपयोग शादियों पार्टियों और बड़े-बड़े होटल और रेस्टोरेंट में इसका उपयोग बहुत अधिक होता है भिंडी सभी लोगों की पसंदीदा सब्जियों में से एक होती है यह हर मौसम में लोग खाना पसंद करते हैं ज्यादातर इसका उत्पादन गर्मियों में होता है भारत में भिंडी की कई वैरायटी उपलब्ध है भिंडी में कार्बोहाइड्रेट खनिज लवण कैल्शियम फास्फोरस इसके अलावा विटामिन ए बी एंड सी तथा थायमीन एवं रिबोरप्लेविन आदि भी पाया जाता है भिंडी की सब्जी बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक पसंद की जाती है 

भिंडी आज भी कई जगह लगाई जाती है परंतु यदि हम भिंडी की खेती वैज्ञानिक तरीकों से नहीं करेंगे तो हम उसमें सही लाभ प्राप्त नहीं कर सकते भिंडी की खेती के लिए हमें कौन सा मौसम सही है म भिंडी में लगने वाले रोग क्या-क्या है और इनसे हम कैसे अपना फसल बचाने हैं इन तरीकों को यदि हम जान लेते हैं तो भिंडी लगाने से हम लाभ ही प्राप्त करेंगे भिंडी की खेती करते समय हमें अच्छे बीज का चयन करना चाहिए पर जानकारी के अभाव में किसान किसी भी तरह का बीज उपयोग करता है जिससे उसे उतना लाभ नहीं हो पाता तो आइए हम जानेंगे कि भिंडी की खेती के लिए कैसे तैयारी करें और कहां से बीज हाइब्रिड वाला खरीदें उसकी पूरी जानकारी किस तरह सिंचाई करना है निराई गुड़ाई आदि सभी जानकारी नीचे दी गई है

भिंडी की उन्नत किस्में 

भिंडी की उन्नत किस्में-

(1)अर्का अनामिका-

  1. आर्का अनामिका भिंड की एक बहुत ही अच्छी किस्म है यह प्रजातीय लोवेन मोजेक विषाणु द्वारा रोग प्रतिरोधी है
  2.  अर्काअनामिका भिंडी का फल रोहित मुलायम तथा गहरी रंग का होता है
  3. यह मंडी की किस्म दोनों ऋतु में उगाई जा सकती है
  4. इसकी पैदावार 12 से 16 टन प्रति हेक्टेयर हो जाती है तथा इसका फल पांच धारियों वाला होता है
  5. यह भिंडी की प्रजाति हमें भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बेंगलुरु से निकाली गई है इसे हम आईआईएचआर के नाम से भी जानते हैं
  6. यह भिंडी की किस्म कम कीमत में अधिक मुनाफा देगी क्योंकि इसका बीज बहुत ही कम दामों पर उपलब्ध कराया जाता है 
(2) आर्का अभय 
  1. यह प्रजाति भी बहुत ही अच्छा उत्पादन देती है इसके पौधे की ऊंचाई 120 से 150 सेंटीमीटर होती है
  2. यह प्रजाति  मोजेक विषाणु द्वारा रोग प्रतिरोधी है
  3. 5 धारियों वाली तथा नर्म मुलायम डंठल वाली होती है
  4. इस प्रजाति का बीज भी भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान द्वारा तैयार किया गया है
  5. इसे हम ऑनलाइन मंगा सकते हैं तथा इसकी भी कीमत कम है
(3) Pusa A4 
  1. यह प्रजाति 1995 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई थी
  2. भिंडी की एक उन्नत किस्म है तथा यह बहुत ही अच्छा उत्पादन देती है
  3. इसके फलों का आकार मध्यम होता है तथा कम रस वाले 12 से 15 सेंटीमीटर लंबे होते हैं
  4. इसकी औसत पैदावार गर्मियों के दिन में 10 टन तथा खरीफ में 15 टन प्रति हेक्टेयर है
  5. इसको बोने के लगभग 45 दिन बाद फल आना शुरू हो जाते हैं तथा इसकी पढ़ाई कर ली जाती है
  6. गोपाल हरे रंग के तथा बहुत ही आकर्षक होते हैं
  7. यह प्रजाति पित्त रोग येलो वें मोजैक विषाणु तथा एफर्ट तथा जेसिड के प्रति सहनशील है
  8. इसे हम भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र से मंगा सकते हैं इसे हम सभी पूसा a4 के नाम से भी जानते हैं
(4) हिसार उन्नत
  1. यह प्रजाति चौधरी चरण सिंह हरियाणा विश्वविद्यालय द्वारा हिसार से निकाली गई
  2. यह भी भिंडी की बहुत अच्छी किस्म है इसकी पहली चौड़ाई 45 से 47 दिनों बाद शुरू हो जाती है
  3. इसके फल 15 से 14 सेंटीमीटर लंबे हरे और आकर्षक होते हैं इसकी पैदावार 12 से 14 टन के आसपास होती है यह प्रजाति गर्मी और वर्षा दोनों ऋतु में उगाई जा सकती है
  4. यह  क़िस्म कृषि विश्वविद्यालय द्वारा निकाली गई इस कारण यह किसानों को कम कीमत पर बीज उपलब्ध करवाती है
  5. इसकी उपज तो अच्छी है ही शांत आप इसमें कम देखरेख की आवश्यकता होती है
(5) वर्षा उपहार
  1. यह प्रजाति भी हरियाणा के कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा निकाल यह भी एक अच्छी किस्म होती है
  2. यह वर्षा ऋतु में 40 दिनों में इसका फूल निकलना शुरू हो जाती है तथा इसके फल 7-8 दिनों के बाद हम तोड़ सकते हैं
  3. यह भी रोग प्रतिरोधक वैरायटी है
  4. फल गहरा हरा होता है तथा 5 धारीवाला होता है
  5. इसकी खेती हम वर्षा एवं ग्रीष्म ऋतु में कर सकते हैं तथा इसका उत्पादन दोनों समय अच्छा होता है तथा इसका बीज हमें कम कीमत पर उपलब्ध होता है
(6)v r o 6
(7) परभिनी क्रांति 
बीज एवं बीज की मात्रा कितनी लगती है

सिंचित क्षेत्र में ढाई से 3 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है तथा आसिंचित क्षेत्र में 5 से 7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीच की आवश्यकता होती है हाइब्रिड बीज की मात्रा कम लगती है की सलाह दी जाती है कि हाइब्रिड बीज का ही उपयोग करें
खाद एवं उर्वरक कितनी मात्रा में दें

भिंडी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त गोबर की खाद होती है इसमें सभी पोषक तत्व जो भिंडी की खेती के लिए आवश्यक है वह सभी मिल जाते हैं रासायनिक खाद में हम 80 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश की मात्रा प्रति हेक्टर दे सकते हैं बुवाई के समय भी हम उर्वरकों को डाल सकते हैं इससे फसल शुरू से ही अच्छी पैदा होगी
भूमि की तैयारी

भूमि की तैयारी-भिंडी की खेती के लिए खेत की तैयारी करना बहुत ही आवश्यक है खेत की तैयारी करते समय हमें सबसे पहले खेत में जो भी कचरा आदि है उसे नष्ट कर देना चाहिए तथा 2 बार गहरी जुताई करना चाहिए तथा उसके बाद पाटा चलाना चाहिए जिससे खेत समतल हो जाए तथा हमें इसके साथ-साथ यह भी देखना चाहिए कि खेत में उत्तम जल निकासी की व्यवस्था सही है कि नहीं यदि खेत में पानी भरेगा तो इससे फसल को नुकसान होगा इसलिए हमें समुचित व्यवस्था कर लेनी चाहिए

बुवाई का सही समय
बुवाई का सही समय-भिंडी की बुवाई का सही समय फरवरी से मार्च में है तथा जून से जुलाई मैं भी इसकी बुवाई की जाती है यह वर्षा ऋतु की फसल होती है

बीज उगने का समय तथा मिट्टी का पीएच मान
बीज उगने का समय तथा मिट्टी का पीएच मान-बीज उगने में लगभग 8 से 10 दिन का समय लगता है तथा मिट्टी का पीएच मान 7 से 7.8 के पास रहना चाहिए इसके साथ ही साथ जुड़ने का सही तापमान 27 से ३० डिग्री के लगभग होना चाहिएमिनी खेती के लिए गर्म तथा नम जलवायु वाला मौसम श्रेष्ठ माना गया है
निराई एवं गुड़ाई
निराई एवं गुड़ाई- फसल कोई भी हो निराई गुड़ाई की आवश्यकता बहुत अधिक होती है भिंडी की खेती में भी और  निराई गुड़ाई की जरूरत होती है क्योंकि इससे खरपतवार नष्ट हो जाती है और फसल को धूप और हवा दोनों मिलती है इससे फसल अच्छी होती है भिंडी की खेती करने से पहले जैसे हम खेत साफ करते हैं उसी तरह पौधा उगने के बाद भी 10 -15 दिनों बाद हमें निराई गुड़ाई करवाना चाहिए और समय-समय पर जब हम खेत में कचरा देखें तब इसकी निराई गुड़ाई करानी चाहिए इस प्रकार हमारी फसल अच्छे से तैयार होगी निराई गुड़ाई के साथ-साथ त्रान नाशक से भी हम निराई गुड़ाई कर सकते हैं याद रखें यह जहरीली हो सकते हैं और यह पर्यावरण को खतरा भी हो सकता है
भिंडी में लगने वाले रोग
(1)भिंडी में चेपा का प्रभाव देखा जाता है इससे पत्ते मर जाते हो और बैठेंगे रूप से हो जाते हैं इससे बचने के लिए हमें  diamatoat 300 मिलीलीटर प्रति 150 लीटर पानी में मिलाकर डालना चाहिए
(2)पत्तों पर सफेद धब्बे लगना इससे बचने के लिए हमें घुलनशील सल्फर 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी डालना चाहिए तथा पेंकोनोजोल 10 ml प्रति 10 लीटर स्त्री को 4 बार 10 दिनों के अंतराल पर डालना चाहिए
(3) भिंडी में सूखा रोग भी देखा गया है इसके लिए हम कार्बेंडाजिम 10 ग्राम प्रति 10 लीटर की दर से डालना चाहिए तथा और भी यदि रोक कोई लगता है तो हमें नजदीकी दवाई विक्रेता से इसकी जानकारी और उपचार लेना चाहिए
सिंचाई
सिंचाई-भिंडी की खेती में सिंचाई का बहुत महत्व होता है भिंडी की खेती में मार्च महीने में 10 से 12 दिन तथा अप्रैल माह में 8 से 9 दिन तथा मई-जून में चार-पांच दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए और जब हम अपने वातावरण के अनुसार भी सिंचाई करना चाहिए जब खेत में फसल सूख रही है तब हमें सिंचाई करनी चाहिए अर्थात जब जरूरत महसूस हो रही है  तभी हम सिचाई करें


भिंडी कुछ ज्यादा देर तक हम स्टोर करके नहीं रख सकते भाइयों को 7 से 8 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाना चाहिए और सबसे बेहतर है कि हम भिंडी को तोड़ कर तुरंत ही वे जाएं जिससे हमें मूल्य भी अच्छा मिल जाएगा और फसल भी खराब नहीं होगी हमारी 

तो दोस्तों आज की टॉपिक में बस इतना ही और इसमें कोई और जानकारी यदि आप देना चाहें तो कमेंट बॉक्स में इसकी जानकारी दे सकते हैं और यह भी बता सकते हैं कि यह ब्लॉक आपको कितना पसंद आया कृपया कमेंट जरुर करें जिससे हमें आप आपकी पसंद या नापसंद के बारे में जानकारी मिल सके। और यदि कोई त्रुटि हो तो बताएं।
धन्यवाद



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