स्ट्रॉबेरी की खेती कर आप भी लाखों रुपए कमा सकते हैं बस इसके लिए आपको स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे की जाती है के बारे में पूरी जानकारी होना चाहिए क्योंकि यह बहुत ही नाजुक फसल होती है भारत में पहले स्ट्रॉबेरी की खेती नहीं की जाती थी परंतु अब भारत में भी स्ट्रॉबेरी की खेती की जाने लगी है और इसका उत्पादन भी भारत में बहुत ही अच्छा होता है भारत में स्ट्रॉबेरी अभी भी बहुत नई है क्योंकि इसे ज्यादा लोग नहीं जानते और इसकी ना ही ज्यादा खेती की जाती है केवल विदेशों में ही इसकी अधिक मांग है परंतु अब धीरे-धीरे भारत में भी इसकी मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है और खेती भी अब हमारे देश में कई प्रदेशों में की जा रही है और सरकार भी स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है
स्टोबेरी देखने में बहुत ही सुंदर होती है और यह लाल रंग की होती है कुछ गुलाबी भी जैसा दिखता है यह एकमात्र ऐसी फसल है जिसके बीच बाहर की ओर होते हैं और इसकी महकी भी बहुत ही मीठी होती है और इसका उपयोग ज्यादातर आइसक्रीम और चॉकलेट्स कैंडिस आदि बनाने में होता है मिल्क शेक आदि में भी आजकल इसका बहुत ही अधिक उपयोग किया जा रहा है अब भारत में भी इसकी मांग बढ़ने लगी है क्योंकि अब भारत में भी यह चीजें लोग पसंद करने लगे इसमें विटामिन सी और के पास जाता है इसको खाने से हमारे चेहरे पर कील मुंहासे आदि नहीं होते और इसमें कैल्शियम आदि भी बहुत मात्रा में पाया जाता है स्टोबेरी की विभिन्न प्रजातियां और किस्म में होती हैं
स्टोबेरी की प्रमुख किस्में
भारत में स्ट्रॉबेरी की कई किस्में पाई जाती हैं पूसा केंद्र दिल्ली में भी स्टोबेरी के पौधों को बेचा जाता है बहुत ही कम कीमत पर जिससे किसान उन्हें आसानी से खरीद सकें और उनका खेती में उपयोग हो
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1 ओफरा- यह इजराइल देश के द्वारा विकसित की गई एक बहुत ही अच्छी किसमें है यह आगे पढ़ने के लिए उत्तम है फल उत्पादन भी इसका जल्दी से ही आरंभ हो जाता है
2 केमारोज-यह कैलिफोर्निया देश के द्वारा उत्पादित किए इसमें उसका फल बहुत ही आकर्षक कौन बड़ा होता है इसकी खुशबू भी बहुत अच्छी होती है इसे आइसक्रीम वगैरह में ज्यादा उपयोग किया जाता है
3 चैटलर-यह भी बहुत अच्छी किस्म है इसे भी भारत में आसानी से बोया जाता है और उत्पादन किसका अच्छा है
4 sweet Charlie -यह भी एक उन्नत किस्म मानी जाती है उसका फल स्वीट होता है और इसमें फफूंद आदि रोगों से लड़ने की शक्ति होती है इसका उत्पादन भी अच्छा है
ये वैरायटी का भारत में प्रमुख रूप से बोली जाती हैं
स्ट्रॉबेरी के लिए कैसी मिट्टी उपयुक्त होगी
स्ट्रॉबेरी के लिए वैसे तो कोई मिट्टी निश्चित नहीं है कि इसी मिट्टी में स्टोबेरी होगी स्ट्रॉबेरी सभी प्रकार की मिट्टियों में अच्छी तरह से पैदा हो जाती है शीतोष्ण जलवायु की फसल है इसे ज्यादा ठंड या ज्यादा गर्मी पसंद नहीं है तापमान बढ़ने पर यह फसल मुरझा जाती है और पत्ते भी सूखने लगते हैं और इससे उत्पादन में तो कमी हो ही जाती हैवैसे स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री का तापमान ही बेहतर माना जाता है अधिक तापमान पर कम पैदावार होती है
वैसे इसकी खेती के लिए हाल की रेतीली या 2 मिनट चिकनी मिट्टी ठीक होती है हमें हाल चला कर मिट्टी को फरवरी बना लेना चाहिए और उसमें गोबर की खाद या अन्य कोई रासायनिक खाद डाल लेना चाहिए हमें 10 किलोग्राम गोबर की खाद और 50 की ग्राम और व्रत मिश्रण सुपर फास्फेट पोटाश 2 :2 : 1: के अनुपात में देने की सलाह दी जाती है
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए हम बैड तैयार कैसे करें?
अतीत में आवश्यक उर्वरक एवं खाद देने के बाद हमें बेड बनाने के लिए 2 फीट चौड़ाई और बेड से बेड की दूरी डेढ़ फिट रखना चाहिए बैड तैयार करने के बाद हम उसमें ड्रिप सिंचाई के लिए जो पाइप होते हैं उनको बिछा देना चाहिए के पौधे लगाने के लिए हमें प्लास्टिक mulching का उपयोग करना होता है इसको करने के लिए हमें 20 से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर मल्चिंग में छेद कर देना चाहिए इसको बोने का सही समय सितंबर से अक्टूबर के बीच होता है यदि तापमान ज्यादा हो तो पौधे सितंबर लास्ट तक तो लगा ही देना चाहिए
खाद और सिंचाई की मात्रा कितनी होना चाहिए
जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि स्ट्रॉबेरी का पौधा बहुत ही नाजुक होता है इसलिए उसे समय समय पर खाद और उर्वरक मिलना चाहिए क्योंकि खेत की मिट्टी में किस तत्व की कमी है यह हमें पता नहीं होता इसके लिए तो सबसे अच्छा है कि हमें खेत की मिट्टी की जांच करवा ही देना चाहिए जिससे हमारे हमें अनावश्यक पोषक तत्व ना डालना पड़े पोटाश नाइट्रोजन और फास्फोरस एनपीके 20: 20:20 जाना चाहिए और बाजार में मिलने वाले और भी उर्वरक लिया जो कृषि विश्वविद्यालय से हमें दिए जाते हो स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए वह डाल देना चाहिए और समय-समय पर वैज्ञानिक कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेना चाहिए
हम बात करते हैं सिंचाई की स्टोबेरी में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि ज्यादा सिंचाई से यह पौधा मर जाता है इसके लिए सबसे बेहतर तकनीक टपक विधि या ड्रिप सिंचाई ही बेहतर है
कीट नियंत्रण कैसे करें
स्ट्रॉबेरी की खेती करते समय हम देखेंगे कि हमारे पौधों को क्षति पहुंचा रहे हैं कीटों का काम स्ट्रॉबेरी के पौधों से रस चूसने और फल को क्षतिग्रस्त करना है इससे यदि हम बचाओ नहीं करेंगे तो हमारी फसल खराब होगी और बाजार में भी आसानी से नहीं मिलेगी और उत्पादन सही नहीं निकलेगा जिससे आर्थिक हानि होगी तो इससे बचने के लिए हम कीटनाशक का प्रयोग करेंगे कीटों में माइक कटवर्म तथा सूत्र कर्मी आदि प्रमुख कीट होते हैं इसमें फलों पर भूरा सफेद तथा पत्तों पर धब्बा आदि का रूप अधिक देखा जाता है से बचने के लिए हम फफूंद नाशक रसायनों का छिड़काव करेंगे दिया था डाया थाया कार्बोनेट इस रूप क लिए अच्छा माना जाता है और बाजार में जो कीटनाशक आसानी से उपलब्ध हो वही कीटनाशक उसमें डालने चाहिए या हमें कृषि विशेषज्ञों से रोग और कीटों में किस दवाई को डालना है वह जानकारी लेना चाहिए
फसल की तूड़ाई कैसे करें
स्ट्रॉबेरी की फसल की चौड़ाई हम तब करते हैं जब फल का रंग थोड़ा थोड़ा गुलाबी या लाल होने लगता है या 70 से 80% लाल हो जाता है यदि हमारा बाजार थोड़ी दूर है तो हमें थोड़ा सा कच्चा ही फल तोड़ देना चाहिए फल बहुत ही सावधानी से तोड़ना चाहिए नहीं तो यह क्षतिग्रस्त हो सकता है और बाजार में क्षतिग्रस्त फलों की मांग नहीं होती औसत फल का साइज सामान्य होता है या कहे तो 5 से 6 इंच
उत्पादन
स्ट्रॉबेरी का उत्पादन 7 से 10 या 12 टन प्रति हेक्टेयर निकलता है यह टमाटर की ही तरह समय-समय पर टूटती है और उसके बाद पुनः फल आने लगते है
पैकिंग कैसे करें
स्टोबेरी की पैकिंग के लिए बाजार में तरह-तरह की हावड़ा हवादार डिब्बे में लगे हैं यह प्लास्टिक किया कागज के हो सकते हैं इनमें हम साफ और अच्छी सुंदर दिखने वाली छोकरी को जमा कर रख देते हैं एक डिब्बे में 8 से 10 और बड़े डिब्बे 15 से 20 स्ट्रॉबेरी आसानी से आ जाती है
स्ट्रॉबेरी का उपयोग हम किन किन चीजों में कर सकते हैं
स्ट्रॉबेरी का उपयोग हम सलाद या स्मूदीज,मिल्क सेक ,cake, jem ,एसेंस, toffee
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