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BROCKLI KI KHETI,ब्रोकली की खेती कैसे करें





भारत में गेहूं चना उड़द मसूर आदि की खेती की जाती है परंतु भारत सब्जियों की खेती में विश्व में विश्व में नंबर वन है भारत में विभिन्न तरह के फल जड़ी बूटियां आदि की खेती की जाती है भारत में विभिन्न तरह की सभ्यता पाई जाती है और सब का खानपान अलग अलग है इस कारण भारत में विभिन्न प्रकार की फसलें बोली जाती हैं आज हम उनमें से ही एक सब्जी वर्गी फसल की जानकारी प्राप्त करेंगे
हम सब ने फूलगोभी की खेती तो देखी ही है फूलगोभी भारत में बहुत ही अधिक पसंद किया जाना जाने वाली सब्जी है यह छोटे से लेकर बड़े शहरों तक आसानी से बाजार में उपलब्ध है परंतु आज हम जिस जिस सब्जी की बात करेंगे वह फूलगोभी की तरह ही देखने में होती है परंतु उसका कलर ग्रीन होता है इसे हम ब्रोकली के नाम से जानते हैं भारत में अभी भी लोग इसकी खेती कम ही करते हैं क्योंकि यह अभी बड़े-बड़े महानगरों शहरों आदि में खाई जाती है इसका अधिकतर उपयोग सलाद बनाने में एवं बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और फाइव स्टार होटल शादी में इसका उपयोग अधिक होता है गांव में अभी भी लोग इस सब्जी से कम ही परिचित हैं परंतु यह एक बहुत महंगी बिकने वाली सब्जी है या आम गोभी की तुलना में 30 से 40% अधिक कीमत पर बिकती है उदाहरण के तौर पर यदि हमारी सफेद को भी ₹20 की बिकती है तो यह 70 से 80 रुपए की और और यदि कीमत अधिक हो तो डेढ़ सौ रुपए प्रति किलो तक बिकती है यह फूलगोभी की तरह ही हमारे भारती खेती में आसानी से उत्पन्न हो जाती है इसमें लोहा कैल्शियम विटामिन ए विटामिन सी कैल्शियम कार्बोहाइड्रेट हाथी पाए जाते हैं विटामिन सी से भरपूर होती है या कई पोषक तत्वों से भरपूर तो होती ही है साथ ही यह कैंसर से भी लड़ने में सहायता करती है इसे हम कैंसर रोधी भी कह सकते हैं कैंसर रोगी को ब्रोकली खाने की सलाह दी जाती है जिससे वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए तो हम जानते हैं की ब्रोकली की खेती कैसे की जाती है और इससे किस तरह हम आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं
ब्रोकली की खेती के लिए जलवायु-
ब्रोकली ठंडे देशों से आई है हमारे भारत की जलवायु थोड़ी गर्म है क्योंकि हमारे देश में ठंड गर्मी बरसात आदि मौसम पढ़ते हैं तो ब्रोकली की खेती के लिए ठंड का समय उपयुक्त होता है क्योंकि अधिक गर्मी पड़ने से इसका जर्मिनेशन में समस्या होती है साथ ही साथ इसके पत्ते पीले होने लगते  हैं और फल भी अच्छे से आकार नहीं लेता इसलिए ब्रोकली की खेती करने के लिए हमें ठंड का समय उपयुक्त होता है ब्रोकली की खेती करने के लिए 10 से 20 डिग्री तापमान ठीक होता है पहाड़ी क्षेत्रों में तो हम इसकी खेती गर्मी के मौसम में कर सकते हैं
भूमि कैसी हो-
ब्रोकली की खेती के लिए दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है परंतु दोमट मिट्टी के अलावा भी यह दूसरी मिट्टी में आसानी से पैदा हो जाती है ब्रोकली की खेती करने के लिए हमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था कर लेनी चाहिए जिससे फसल खराब ना हो और मिट्टी का पीएच मान 6 से 6.8 के आसपास होना चाहिए मिट्टी अच्छी उपजाऊ होनी चाहिए हम उसमें गोबर की खाद आदि भी मिला सकते हैं और जो सड़ा हुआ भूसा पत्तियां आदि भी खेत में मिलाकर खाद बना सकते हैं
खेत की तैयारी कैसे करें-
खेत की तैयारी करने के लिए हमें ट्रैक्टर की सहायता से खेत की तैयारी करने के लिए हमें ट्रैक्टर की सहायता से दो से तीन बार खेत को अच्छी तरह जोत देना चाहिए या फिर हल् द्वारा भी हम यह कार्य कर सकते हैं जुदाई के बाद हम गोबर की खाद को खेत में अच्छी तरह मिला दें इस प्रकार हमारा खेत तैयार हो जाएगा और कचरा यदि हो तो उसे खेत से अलग कर देना चाहिए 
 ब्रोकली की उन्नत किस्में-
Green komet, green sprouting, botham 29, green had, nine star
(1)पंजाब ब्रोकली- यह पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा निर्मित एक ब्रोकली की कसम है यह हरे रंग की अच्छी तरह गुथी हुई और बड़े सुंदर दिखने वाली केस में इसकी रोपाई 60 से 80 दिन तक के बीच कर देनी चाहिए इसकी औसत पैदावार 60 से 75 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है इसका पौधा चिकना और अधिक कोटा वाला होता है उसका फल बहुत ही आकर्षक और बड़ा होता है
(2)पालम समृद्धि- पालम समृद्धि भी एक अच्छी तरह की कसम है उसका फूल का वजन 300 से 450  ग्राम के आसपास होता है इसका फूल हरा एवं अच्छी तरह होता हुआ होता है यह किसी से 95 दिन के आसपास हो जाती है पैदावार 140 से 190 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल जाती है

(3)केटीएस वन- क्या पूछा अनुसंधान केंद्र द्वारा निर्मित कैसी हो हल्के हरे रंग की होती है तथा 80 से 90 दिन में तैयार हो जाती है 240 से 400 कुंतल का वजन होता है इसकी रोपाई बाद  80 से 90 दिन में तैयार हो जाती है
बीज की मात्रा और बुवाई का सही समय-
ब्रोकली की खेती करने के लिए हमें बीज की तैयारी पहले से करनी पड़ती है जैसे हम टमाटर और गोभी की खेती के लिए पहले से ही पौध तैयार कर लेते हैं चित्रकार रोकने के लिए भी हमें पौध तैयार करना पड़ती है की नर्सरी के लिए हमें 350 से 450 से या आधा किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है हम चाहे तो हाइब्रिड किस्म के बीजों का उपयोग कर सकते हैं इसकी खेती के लिए भारत में सही समय ठंड का है एवं पहाड़ी क्षेत्रों में बुवाई के लिए जुलाई से अगस्त के बीच की जाती है एवं कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इसकी 13 सितंबर से अक्टूबर के आसपास की जाती है कहीं-कहीं को मार्च-अप्रैल में भी तैयार किया जाता है
नर्सरी की तैयारी एवं देखरेख- 
ब्रोकली की खेती के लिए नर्सरी की देखरेख बहुत ही आवश्यक होती है क्योंकि इससे ही हमारे खेत की फसल निर्भर होती है यदि हम अच्छी तरह से नर्सरी तैयार करते हैं तो हमारे फसल भी अच्छीहमारे भारत में सितंबर मध्य से नवंबर के शुरू तक इस की पौध तैयार की जा सकती है बीज बोने के लगभग 4 से 5 हफ्तों में इसकी मौत खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है नर्सरी की तैयारी हम फूलगोभी की तरह ही करते हैं उसमें ज्यादा रख नहीं होता जो लोग पूर्व में गोभी की खेती कर चुके हैं उन्हें उसी तरह ही तैयार करना है
पौधों की रोपाई -
जब पौधे 4:00 से अधिक सप्ताह की हो जाएं यह लगाने योग्य हो जाएं तो हम उन्हें रोपाई के लिए ले जा सकते हैं रोपाई करते समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए और उपाय के लिए खेत में कतार से कतार एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 से 60 सेंटीमीटर का अंतर रखकर करनी चाहिए पौधे से पौधे की बीच 45 सेंटीमीटर का फासला देखकर ही रोपाई करें एवं उसके बाद हल्की सिंचाई करें और संभव हो तो खाद आदि भी रोपाई के समय ही डाल दें
ब्रोकली की सिंचाई कैसे करें-
ब्रोकली की रोपाई के तुरंत बाद ही हमें सिंचाई कर देनी चाहिए 6 से 7 दिन बाद खेत में हमें देखना चाहिए कि पौधे सही इस तरह से खड़े हो गए हैं कि नहीं अन्यथा खराब पौधों को बदल देना चाहिए उसके बाद हमें 10 से 15 दिन के अंतराल पर हल्की हल्की सिंचाई कितना करते रहना चाहिए ब्रोकली की खेती के लिए पांच से छह सिंचाई ही पर्याप्त होती है और हम अपने क्षेत्र के मौसम के अनुसार ही सिंचाई करना चाहिए सिंचाई ऐसी करना चाहिए जिसस खेत में पानी जमा ना हो अन्यथा फसल को नुकसान हो सकता है अतः सिंचाई प्रबंधन बहुत ही अच्छा होना चाहिए

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खाद एवं उर्वरक का प्रयोग-
ब्रोकली की खेती करने के लिए खाद एवं उर्वरक का प्रयोग बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि इससे फसल मजबूत और फल बहुत अच्छे बनते हैं ब्रोकली की खेती करने के लिए हमें गोबर की खाद का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए क्योंकि यह सस्ती होने के साथ-साथ ई अच्छे पोषक तत्वों से भरपूर होती है 10 से 20 टन गोबर की खाद हमें प्रोफाइल से 20 से 25 दिन पहले खेत में विकेट देना चाहिए और मिट्टी में मिल जाए इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए या फिर हम पौधे की रोपाई के बाद भी हम पौधों की जड़ों में गोबर की खाद बाद में भी डाल सकते हैं इसके साथ-साथ हमें 100 से 120 किलोग्राम नाइट्रोजन 7 से 80 किलोग्राम फास्फोरस और 50 से 60 किलोग्राम पोटाश को अपने खेत में डाल देना चाहिए फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा एवं नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा रोपाई के समय डालना चाहिए और हमें नाइट्रोजन डालने के बाद या फिर गोबर की खाद डालने के बाद सिंचाई अवश्य करनी चाहिए और साथ ही साथ हमें अपने क्षेत्र की कृषि विश्वविद्यालय से भी सहायता या जानकारी लेनी चाहिए
खरपतवार नियंत्रण कैसे करें
खरपतवार के नियंत्रण के लिए हमें समय-समय पर निराई गुड़ाई करना चाहिए एवं साथ ही साथ खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के पहले वैसालिन या  trifloranfloran नामक खरपतवार नाशक की 1 लीटर सक्रिय तत्व की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव कर देना चाहिए और साथ ही साथ समय-समय पर उथली उथली निराई गुड़ाई करना चाहिए और निराई गुड़ाई करने के बाद सिंचाई करना चाहिए 
रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
(1)माहू -माहू यह हरे मटमेले व छोटी से आकार का एक कीट होता है जो कि पौधों की पत्तियों का रस चूस लेता है इससे पत्तियां पीली हो जाती हैं और सुख कर गिरने लगती है और उत्पादन क्षमता में कमी आती है इसका नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक होता है
नियंत्रण - नियंत्रण के लिए एंडोसल्फान दवा 2 मिलीलीटर प्रति लीटर की दर से पौधों पर स्प्रे करना चाहिए
(2)आद्र गलन -यह फफूंद से उत्पन्न रोग है जो अधिक नमी व ऊंचे तापमान के कारण उत्पन्न होता है इससे पौधे मर जाते हैं इसके नियंत्रण के लिए फफूंद नाशक दवा जैसे कैप्टन या श्री राम का प्रयोग बुवाई से पहले करना चाहिए या फिर बाविसटीन दवा से बीज को उपचारित करके बुवाई करना चाहिए
ब्रोकली की कटाई
ब्रोकली कटाई तब की जाती है जब हरे रंग का अच्छा फूल बन जाता है इसे 12 से 15 सेंटीमीटर लंबे डंठल के साथ तेज चाकू की सहायता से काटना चाहिए फूल खराब नहीं होना चाहिए इसका हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि फूल अच्छी तरह होता है या नहीं कहीं फूल पीला तो नहीं यदि ऐसा है तो उस फूल को नहीं काटना चाहिए क्योंकि इससे बाजार में हमें सही मूल्य नहीं मिलता अच्छे से अच्छा फल काटना चाहिए जो आकार में बड़ा तभी हम इसका सही मूल्य मिलेगा हमें ज्यादा छोटा फूल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि कुछ दिनों बाद यह फूल बड़ा हो जाएगा और हमें अपनी वजन देगा
ब्रोकली की पैकेजिंग कैसे करें
ब्रोकली की पैकेजिंग  कैरेट मे करना चाहिए या फिर किसी बोरे में जिससे फल खराब ना हो और ज्यादा दूर जाने पर कोई नुकसान ना हो
ब्रोकली की पैदावार
ब्रोकली की पैदावार 75 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा संकर किस्मों की पैदावार 120 से 190 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है और फिर हमारी देखरेख और मौसम पर भी निर्भर होता है



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